आस्था, तपस्या और गौ सेवा का अद्भुत स्थान और शक्ति स्थल
~~मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना ~~
मानेसर में हाईवे पर स्तिथ बाबा न्याराम के मंदिर परिसर पर जाना हुआ | श्री सतीश सेन और श्री नरेन्द्र यादव जी के साथ बातें करते हुए जब अपनी अमूल्य धरोहर, मानव प्रयासों से हिन्दू संस्कृति और आस्था के स्थानों का जिक्र हुआ तो समाज के सहयोग और विश्वास द्वारा संचालित बाबा न्यारम दास मन्दिर एवं गौशाला, मानेसर पता चला। हम तीनों तुरंत वहाँ के लिए अग्रसर हुए।
उम्मीद थी और लगता था कोई सामान्य सा मंदिर होगा और कुछ गायें रखी होंगी और एक आस्था का सामना होगा परन्तु जब वहां पहुँचे, और परिसर में प्रकृति, पशु प्रेम और पावन पवित्रता की अनोखी अनुभूति हुई। सेवा की सत्यता, सफाई, गऊ धन की स्वच्छता और एक सिस्टम का अनुभव हुआ। एक स्व:चलित स्व-घटित शक्ति का आभास हुआ |
अब तो अपनी उत्सुकता और प्रसन्नता दोनों की सीमाएं अपना विस्तार करने लगी। एक पूरा चक्कर लगा कर जब वहां उपस्थित सेवकों से बातचीत हुई तो स्थान की शक्ति और महिमा का, सामूहिक प्रयासों की गहराई का, अच्छाई का ज्ञान मिला।
बाबा न्याराम के भक्ति का (उन के तप बल से जंगल की परियों का प्रकट होना, शेर द्वारा उन के पैरों को चाटना या उस पर समर्पण करना), पौराणिक इतिहास का (इसी वन में पाण्डवों ने अज्ञात वास किया था), श्रद्धालु भक्तों के द्वारा हर अमावस्या को दूध खीर का चढ़ावा चढ़ाना जिस से उन के पशुधन की सुरक्षा और अपने पितृ जनों का कल्याण या मुक्ति मिलना और सब समाज के सहयोग द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन करना – विशेष रूप से अपनी – अपनी मनौतियों के पूरा होने के उपलक्ष्य में सामूहिक ख़ुशी का – आभार का आनंद मनाना ( श्री निहाल जी, मुख्य खजांची से पता चला की अगर कोई भक्त अपनी इच्छा से भंडारे का आयोजन करना चाहता है और आज बुकिंग करता है तो उस का नंबर लगभग ३ साल बाद आएगा )
वाह मेरे प्यारे महानुभावों यह है हमारे राष्ट्र की, हमारी संस्कृति की, हमारी आस्था की, ऋषि-मुनियों के तप की विराट शक्ति।
आप सब से अनुरोध है एक बार जरूर इस पावन स्थल पर आएं, अगर संभव है तो अमावस्या को, और स्वयं इस महा शक्ति का अनुभव करें – जीवन की सच्चाई से स्वयं अवगत हो और गौ सेवा , मानव सेवा से जुड़ें.
मानेसर.टुडे का यही लक्ष्य है की जन साधारण को अपनी असाधारण शक्ति और संस्कृति से जोड़ना। अगर आप भी कई स्थान, पारम्परिक संत या सामाजिक भलाई के लिए अगर कोई काम कर रहा है तो उस से हमें मिलवाएं, बताएं जिस से पुरे समाज को उन के बारे में पता लगे.
गोपीकृष्ण बाली मुख्य संपादक और आनंद प्रेरक
धन्यवाद