ढोसी की पहाड़ी, गांव कुलताजपुर, नारनौल जिला महेंद्रगढ़

आज एक खूबसूरत पहाड़ी के बारे में बताने जा रहा है। प्रकृति की गोद में फैला यह पर्वत कोई और नहीं अरावली है। इतिहासकारों की मानें तो अरावली पर्वत के पास एक ज्वालामुखी है। लेकिन इस ज्वालामुखी में हजारों साल से कोई विस्फोट नहीं हुआ है। महर्षि च्यवन का आश्रम व प्राचीन शिव मंदिर, ढोसी की पहाड़ी, गांव कुलताजपुर, नारनौल जिला महेंद्रगढ़

संसार में ऐसी बहुत सी जगहें हैं जो रहस्यपूर्ण होती हैं. साथ ही कुछ जगह ऐसी भी हैं जो कई हजारों साल बाद भी रहस्यपूर्ण बनी रहती हैं. जब भी हमारे सामने कोई किसी रहस्यपूर्ण जगह के बारे में बातें करता है तो हमारे दिलो-दिमाग में कई तरह के प्रश्न पैदा होने लगते हैं. ऐसा ही कुछ हाल है प्रकृति की एक खूबसूरत पहाड़ी का. अरावली पर्वत श्रृंखला के पास एक ज्वालामुखी है जिसे ज्वालामुखी तो कहा जाता है पर कई हजार सालों से इस ज्वालामुखी में कोई भी विस्फोट नहीं हुआ है. इस ज्वालामुखी को धोसी पहाड़ी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस धोसी पहाड़ी से कई आयुर्वेद के रहस्य जुड़े हुए हैं. हरियाणा में अनेक संत -महात्माओं व मुनियों का वास रहा है। संत नितानंद व सूरदास समेत अनेक ऐसे महान संत यहां हुए हैं जिन्होंने अपने महान कार्यो से जन-जन का कल्याण किया है। ऐसे ही एक संत हुए हैं महर्षि च्यवन, जिन्होंने अपनी तपस्या व साधना से मानव मात्र का कल्याण कर समाज को नई दिशा दी है। जिला महेंद्रगढ़ के मुख्यालय नारनौल नगर से सात कि.मी. की दूरी पर बसा है गांव कुलताजपुर। इसी गांव के मध्य स्थित प्रसिद्ध ढोसी की पहाड़ी पर स्थित है महर्षि च्वयन आश्रम

पहाड़ी में कई आयुर्वेद तत्व

धोसी पहाड़ी जो कहने को तो ज्वालामुखी है पर वास्तविक रुप में अपने भीतर कई आयुर्वेदिक गुणों को समेटे हुए है, जैसे उनमें से एक है च्यवनप्राश. आयुर्वेद की सबसे महान खोज च्यवनप्राश को माना जाता है पर शायद ही कोई यह जानता होगा कि च्यवनप्राश जैसी आयुर्वेदिक दवा धोसी पहाड़ी की देन है. धोसी पहाड़ी हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर स्थित है. धोसी पहाड़ी के बारे में वहां के लोगों का कहना है कि धोसी पहाड़ी एक चमत्कारी पहाड़ी है और साथ ही वहां के लोगों का यह भी कहना है कि धोसी पहाड़ी के रहस्य को ना कोई जान पाया है ना जान पाएगा. विशेषज्ञ भी अगर धोसी पहाड़ी का रहस्य और धोसी पहाड़ी के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में पता लगाने की कोशिश करें तो सिर्फ उनके हाथ असफलता ही लगेगी.

रहस्यपूर्ण पहाडी की अजब-गजब बातें

यह धोसी पहाड़ी रहस्यपूर्ण तो है ही पर साथ में धोसी पहाड़ी की बातें अजीबो-गरीब हैं. धोसी पहाड़ी के नीचे एक गांव पड़ता है जिस गांव का नाम धुंसरा गांव है. धुंसरा गांव के लोगों का कहना है कि धोसी पहाड़ी के उपर कई ऋषियों ने तपस्या की है जिस कारण धोसी पहाड़ी में आयुर्वेद के महान तत्व स्थापित हो चुके हैं. लगभग 5100 वर्ष पूर्व पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे. आज भी पहाड़ी के एक तरफ ठोस लावा देखा जा सकता है, जो कि लाखों वर्ष पुराना है.

ब्रह्राव्रत रिसर्च फाउंडेशन, जो वैदिक काल के लिखे वेदों की रिसर्च करता है, यह कहती है कि धोसी पहाड़ी पर बैठकर ही महान वेदों की रचना की गई है. धोसी पहाड़ी ऐसी चमत्कारी पहाड़ी है कि जो भी महान व्यक्ति इस पहाड़ी पर बैठकर जो भी वेद लिखता है यह धोसी पहाड़ी व्यक्ति और वेद के महान तत्व अपने अंदर स्थापित कर लेती है. 46 दुर्लभ जड़ी-बूटियों को मिलाकर पहली बार यहीं च्यवनप्राश का फार्मूला तैयार किया गया था.कायाकल्प’ के निर्माण के प्रमाण भी यहीं मिलते हैं.

कायाकल्प’ एक ऐसी औषधि थी, जिसे अच्छी त्वचा और स्वास्थ्य के लिए तैयार किया गया था और इस कायाकल्प का निर्माण भी धोसी पहाड़ी पर ही किया गया था. हैरानी वाली बात यह है कि हेमचंद्र विक्रमादित्य राजा को भी धोसी पहाड़ी की महानता का अहसास हो गया था जिस कारण धोसी पहाड़ी के आयुर्वेद तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए धोसी पहाड़ी के ऊपर एक किले का निर्माण किया गया. धोसी पहाड़ी का रहस्य आज भी कायम है कि आखिरकार इसमें ऐसा क्या है जो महान वेदों, महान व्यक्तियों, ऋषियों के महान गुण अपने अंदर स्थापित कर लेती है और साथ में यह भी कि जब यह पहाड़ी ज्वालामुखी है तो कभी भी इसमें कोई विस्फोट क्यों नहीं हुआ है.

महर्षि च्यवन की प्रसिद्ध कहानी जो आपने बचपन मे अपने दादा-दादी नाना-नानी से जरूर सुनी होगी।

इस आश्रम को महर्षि च्यवन की तपोस्थली माना जाता है। मान्यता है कि इसी आश्रम में उन्होंने विश्व प्रसिद्ध औषधि च्यवनप्राश का निर्माण किया था। आश्रम में सोमवती अमावस्या को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु भाग लेते हैं। च्यवन ऋषि के आश्रम के संदर्भ में एक कथा प्रचलित है जिसका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। महाभारत के मुताबिक ढोसी की पहाड़ी को आर्चिक पर्वत कहा जाता था। आर्चिक का अर्थ वेदों की ऋचाओं से समझा जाता है। कहा जाता है कि पुरातन काल में इस पर्वत पर अनेक संत-मुनि तपस्या करते थे और वेदों की ऋचाओं का पाठ करते थे इसलिए इस पर्वत को आर्चिक पर्वत कहा जाता था। कालांतर में इसे ढोसी कहा जाने लगा। एक अन्य कथा के अनुसार महर्षि च्यवन ने इसी ढोसी की पहाड़ी को अपनी तपोस्थली बनाया। इस पहाड़ी की चोटी पर बैठकर वे गहन तपस्या में लीन हो गए। लगातार तप में लीन होने के कारण उनके शरीर पर मिट्टी का आवरण जमा हो गया था। एक दिन सूर्यवंशी राजा शर्याति ढोसी पर भ्रमण के लिए आए। उनकी पुत्री सुकन्या भी उनके साथ थी। सुकन्या मिट्टी से ढकी आकृति देखकर उससे खेलने लगी। इस दौरान उसने आकृति में सरकंडे घुसा दिए। ये सरकंडे महर्षि च्यवन की आंखों में घुस गए। आकृति से खून बहता देख सुकन्या डर गई और उसने अपने पिता को वहां बुलाया। जब राजा शर्याति ने वहां से मिट्टी को हटाकर देखा तो उन्हें वहां महर्षि च्यवन बैठे दिखाई दिए, जिनकी आंखें राजकुमारी सुकन्या ने अज्ञानवश फोड़ दी थीं।

सच्चाई जानकर सुकन्या आत्मग्लानि से भर गई। सुकन्या ने वहीं आश्रम में रहकर च्यवन ऋषि की पत्नी बनकर उनकी सेवा कर पश्चाताप करने का निर्णय लिया। धारणा है कि बाद में देवताओं के वैद्य आश्विन ने अपने आशीर्वाद से महर्षि च्यवन को युवा बना दिया। युवावस्था प्राप्त कर महर्षि च्यवन ने उस क्षेत्र को अपने तप के बल से दिव्य क्षेत्र बना दिया।

आज महर्षि च्यवन आश्रम के कारण पूरा ढोसी क्षेत्र एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। यहां महर्षि च्यवन का प्राचीन मंदिर है जिसमें महर्षि च्यवन, सुकन्या व भगवान विष्णु की मूर्तियां स्थापित हैं। यहीं पर एक गुफा है जिसे च्यवन गुफा कहते हैं। इसके अतिरिक्त यहां स्थित चंद्रकूप भी आकर्षण का केंद्र है। ढोसी की पहाड़ी के एक तल पर प्रसिद्ध शिवकुंड और शिवमंदिर भी है।

ढोसी की पहाड़ी का जिक्र महाभारत के वन पर्व में भी मिलता है। महाभारत के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडव ढोसी की पहाड़ी पर भी आए थे। इस पहाड़ी पर बड़े आकार के कुछ पदचिह्न भी हैं जो महाबली भीम के पदचिह्नों के रूप में प्रसिद्ध हैं। श्रावण मास में यहां शिव अभिषेक व अन्य धार्मिक कार्यक्रम किए जाते हैं। हरियाली से आच्छादित ढोसी की पहाड़ी की सुंदरता श्रद्धालुओं व पर्यटकों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेती है।

Information Source: The Haryana Junction Post on Fb page and various websites on internet

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