स्वयंभू लिंगम | शिव धाम फतेहपुर

शिव मंदिर के प्रांगण में "शिव पंचायत" के मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ किया गया है। इसमें पांच देवताओं की प्रतिमा जिसमें सूर्य, गणपति, शिव, विष्णु और देवी दुर्गा की स्थापना की जाएगी ।

शिव धाम फतेहपुर में शिव पंचायत का निर्माण कार्य आरंभ

इस सृष्टि के रचयिता, संचालन व पालनकर्ता और संहारकर्ता उस ईश्वरीय शक्ति के प्रतीक हैं जिसे सकल चराचर जगत अपना आराध्य मानकर पूजता है। विश्व में सर्वाधिक लोग या तो शैव हैं या फिर वैष्णव ।हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु और भगवान शिव ही सर्वाधिक पूजनीय हैं। अनेक स्थानों पर भगवान शिव के प्रसिद्ध भव्य मंदिर व धाम बने हैं । इन विशाल मंदिरों के चमत्कार के किस्से, पौराणिक कथाएं तथा अनेक किवदंतियां प्रचलित हैं । ऐसा ही भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर हरियाणा प्रदेश के जिला महेंद्रगढ़ के गांव फतेहपुर में बना़ है जिसे शिव के स्वयंभू लिंगम् के रूप में जाना जाता है । इस भव्य मंदिर के बारे में भी अनेक किंवदंतियां और चमत्कार के किस्से सुने जाते रहे हैं । लेकिन आज वैज्ञानिक और तकनीकी युग में शायद उन पर विश्वास करना संभव हो या न हो।

फतेहपुर धाम जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर और तहसील अटेली से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव के 90/92/95/98 साल के बुजुर्गों अनुसार शिव मंदिर का निर्माण लगभग 200 वर्ष पूर्व हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान पर एक हींछ (कांटे दार झाड़ी) का भारी झाड़ था और उसके बीच में यह शिवलिंग जो चोकोर पत्थर का बना है, स्थापित था। यह वर्तमान में लगभग डेढ़ फुट ऊंचा है और कई फुट गहरा बताया जाता है। इसके चारों ओर जाल के विशाल पेड़ हुआ करते थे। ताजपुर गांव का कोई रोगी व्यक्ति शहर आते – जाते उन पेड़ों की छाया में बैठकर आराम किया करता था तभी एक दिन उसकी नजर हींछ के झाड़ के बीच छुपे पत्थर पर पड़ी तो वह उसे ही देव मान बैठा और कहने लगा, रे बाबा! मेरे कष्ट दूर करो, मैं बहुत दुखी हूं। मेरे इस कोढ़ का इलाज नहीं हो पा रहा ऐसा कह कर वह बार-बार विनती करने लगा। विश्राम करने के उपरांत वह व्यक्ति पड़ोस के गांव ताजपुर में चला गया। ऐसा चमत्कार हुआ कि उसका रोग धीरे-धीरे ठीक होता चला गया। तभी उसने लोगों को बताया कि फतेहपुर गांव की बणी में फलां जगह जाल के पेड़ों के बीच हींछ के झाड़ में कोई देव पत्थर के रूप में विराजमान है उसे निकालो मैं उसके पुनः दर्शन करूंगा। इस चमत्कार की खबर आसपास के गांवों में फैल गई। तभी से यह पत्थर शिवलिंग के रूप में पूजा जाने लगा। गांव के समृद्ध लोगों ने चंदा एकत्र करके शिव मंदिर का निर्माण करवाया । ताजपुर के सेठों व दानदाताओं ने भी इसके निर्माण के लिए धनराशि दी तो किसी ने स्वेच्छा से श्रमदान किया। तब जाकर यह शानदार भव्य मंदिर बन पाया। ऐसा भी कहा जाता है कि रात्रि के समय जब गांव में चोर डाकू लूटने के लिए आते थे तो इस मंदिर से आवाजें आती थी कि सावधान हो जाओ गांव में डाकू आ रहे हैं। कहते हैं कि लोग सावधान हो जाते और रात को जाग जाग कर पहरा देते । इसी प्रकार किसी महामारी या प्राकृतिक आपदा के आने का संकेत भी किसी अज्ञात शक्ति द्वारा गांव वालों को पहले ही मिल जाता था और लोग उपाय के साधन तलाश लेते थे।

इस मंदिर का निर्माण गांव के ही राजमिस्त्रियों द्वारा किया गया। गांव के लोग ही बारी-बारी से स्वेच्छा से मजदूर का कार्य करते थे। मंदिर के बाहर चारदीवारी का निर्माण भी कुछ वर्षों बाद गांव के ही एक व्यक्ति के द्वारा करवाया गया था। इस प्रकार यह शिव मंदिर आसपास के शिव धामों में गिना जाने लगा। शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल की कावड़ भरकर लाते और शिवलिंग पर अभिषेक करते रहे हैं। वर्ष में दो बार सावन व फागुन के महीने में शिवरात्रि को यहां मेला लगता है । कुश्ती कबड्डी तथा अन्य खेल आयोजित किए जाते रहे हैं। दूरदराज के गांवों से नामी गिरामी पहलवान या खिलाड़ी मेले में आते रहे हैं । गांव की शिव सेवा समिति (रजि.) द्वारा जागरण व भंडारे का आयोजन किया जाता रहा है। खाटूश्यामजी पैदल जाने वाले सभी श्रद्धालुओं के ठहरने तथा भोजन पानी की व्यवस्था की हुई है। मंदिर में कीर्तन भवन और कई हाल बने हुए हैं। मंदिर का हरा भरा प्रांगण मनमोहक और आकर्षक बना है । मंदिर में पानी की उचित व्यवस्था की गई है।

शानदार विशाल प्रवेश द्वार जिस में बांयी ओर राधा – कृष्ण द्वार और दांयी ओर श्री राम दरबार द्वार है और दोनों के बीच शिवद्वार बनाया गया है । मंदिर के प्रांगण में एक चबूतरे पर लगभग 60 फुट ऊंची विशाल हनुमानजी की प्रतिमा बनी है। यह मंदिर आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला पावन धाम है। अनेक भक्तगण पूजा पाठ, हवन, महामृत्युंजय जाप ,रुद्री पाठ या विवाह आदि के जैसे कार्यक्रम यहां पर आयोजित होते रहते हैं । मंदिर के वर्तमान पुजारी ने बताया कि मेरे से पहले पांच पीढ़ियों के बुजुर्ग शिव मंदिर के पुजारी के रूप में सेवा कर चुके हैं। प्रातः 4:00 बजे से शिव भक्तों का आगमन आरंभ हो जाता है । मंदिर की घंटियां और घंटालों की आवाजें, आरती, भजन, ॐ नमः शिवाय, हर-हर महादेव, जय भोलेनाथ की आदि आवाजें सुनाई पड़ती हैं । पुजारी द्वारा भक्तों को प्रसाद का वितरण किया जाता है । अनेक चमत्कारी किस्से भी प्रचलित हैं जैसे- किसी का नौकरी लगना, पुत्र कामना पूर्ण होना, रोग दोष से छुटकारा पाना, अपाहिजों को राहत मिलना, शादी या सगाई का हो जाना आदि आदि जैसी कामनाएं पूर्ण होने के किस्से सुने जाते रहे हैं । इस प्रकार फतेहपुर धाम भगवान शिव का एक प्रसिद्ध धाम माना गया है ।

शिव मंदिर के प्रांगण में “शिव पंचायत” के मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ किया गया है। इसमें पांच देवताओं की प्रतिमा जिसमें सूर्य, गणपति, शिव, विष्णु और देवी दुर्गा की स्थापना की जाएगी ।

– डॉ. त्रिलोक चंद फतेहपुरी, अटेली हरियाणा

शिव पंचायत स्थापना का कार्य अटेली मंडी की ” महिला मंडल संस्था ” और समाज सेवकों द्वारा किया जा रहा है ।


आप सब से अनुरोध है की इस पावन कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें और समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हुए सब को इस पवित्र स्थान की महिमा को बताएं. अगर आप भी कोई ऐसे स्थान के बारे में कुछ जानकारी रखते है तो हम से साँझा करें।
ईमेल : 100x@Manesar.today

GopiKrishan, Chief Editor | Manesar.Today

3 thoughts on “स्वयंभू लिंगम | शिव धाम फतेहपुर

  1. फतेहपुर धाम अपने आप में शक्ति साधना विश्वास व संस्कृति का प्रतीक है। यहां पहुंचे श्रद्धालुओ कि मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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