शुभ नवरात्र ! नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्र का शाब्दिक अर्थ है “नौ रातें।” इन नौ रातों की गिनती अमावस्या के अगले दिन से की जाती है। यह देवी के लिए एक विशेष समय है, जो ईश्वर की स्त्री प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को स्त्री के तीन आयामों के रूप में देखा जाता है। आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर 9 दिन तक चलने वाला नवरात्र ‘शारदीय नवरात्र’ कहलाता है। ‘नव’ का शाब्दिक अर्थ नौ है। इसके अतिरिक्त इसे नव अर्थात नया भी कहा जा सकता है। शारदीय नवरात्रों में दिन छोटे होने लगते हैं।
चैत्र नवरात्रि की नवमी के दिन भगवान राम का जन्म माना जाता है तो वहीं शारदीय नवरात्रि के समाप्त होने के अगले दिन ‘दशहरा’ मनाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि भगवान राम ने स्वयं शक्ति को नौ रूपों की पूजा करने के बाद ही रावण का अंत किया था।
सिद्धि और साधना के नजरिये से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है. शारदीय नवरात्रों में लोग आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति इकट्ठी करने के लिए कई प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना करते हैं. नवरात्रों में शक्ति के 51 पीठों पर भक्त देवी की उपासना के लिए जुटते हैं.
आप सभी भक्तों को शर्दीय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं। आप सदैव आनंदित रहें और मातृ शक्ति आप की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें.
* अभी व्हाटप्प पर यह जानकारी (पोस्ट) मिली, आप भी पढ़ें और लाभ उठायें.
9 औषधियों के पेड़ पौधे जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है -*
(1) प्रथम शैलपुत्री (हरड़) : कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है.यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है.
(2) ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है. इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है.
(3) चंद्रघंटा (चंदुसूर) : यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है. यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं.
(4) कूष्मांडा (पेठा) : इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है.इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं. इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है. मानसिक रोगों में यह अमृत समान है. आज कल सैक्रीन से बनने वाला पेठा नहीं खाये घर में बनाये
(5) स्कंदमाता (अलसी) : देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं. यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है.इसमे फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे सभी को भोजन के पश्चात काले नमक से भूंजकर प्रतिदिन सुबह शाम लेना चाहिए यह खून भी साफ करता है
(6) कात्यायनी (मोइया) : देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका. इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं. यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है.
(7) कालरात्रि (नागदौन) : यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं.यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है. यह पाइल्स के लिये भी रामबाण औषधि है इसे स्थानीय भाषा जबलपुर में दूधी कहा जाता है
(8) महागौरी (तुलसी) : तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र. ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है. एकादशी को छोडकर प्रतिदिन सुबह ग्रहण करना चाहिए
(9) सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं. यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है. विशेषकर प्रसूताओं (जिन माताओं को ऑपरेशन के पश्चात अथवा कम दूध आता है) उनके लिए यह रामबाण औषधि है को इसका सेवन करना चाहिए
आइए हम सभी इस नवरात्रि के पावन अवसर पर इन प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन कर स्वयं को स्वस्थ बनाएं एवं जन जन तक पहुंचाएं